Tuesday, December 28, 2010

समय

मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते 
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते 
बचपन को जवानी और जवानी बुढ़ापे में ढलते
कभी लड़खड़ाते कभी गिरते तो कभी अपने आप संभलते
हवाओं और मौसम को जैसे आपस में लड़ते
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते 
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते 


लोगों को धीरे धीरे ऊँचाइयों पे चढ़ते
जो आसमान पे थे उनको निचे उतरते
इश्क और मोहोब्बत को हवाओं में घुलते
दो जवान दिलों को प्यार भरी गुफ्तगू करते 
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते 
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते


उमंगों और आशाओं को हर रोज जैसे बढ़ते
नफरत की उन गलियों को चाहत की तरफ मुड़ते
उन नन्ही किलकारियों को सफल आवाज बनते
हर परिवार में यूँ रिश्तो और रिश्तेदारों को बढ़ते 
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते 
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते


कहीं प्यार कहीं नफरत तो कहीं घमंड को पलते
कभी एक आशा की किरण या एक ख़ुशी के रूप में आते
कहीं नफरतो को बढ़ते तो कहीं दो दिलों को मिलते 
कभी फूल कभी पत्थर तो कभी अंगारों में सुलगते 
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते 
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते


पर जानता हूँ समय का एक अंदाज है सुहाना
समय तो सिर्फ एक पल जिसने हमेशा है बीत जाना
एक पल में अगर गम हो तुम दूजे में कुशियाँ मनाना
कभी दूसरो को हराना कभी खुद से हार जाना
एक बार जो निकल गया तो इसने लोअट के न आना
पर ये समय ही है दोस्तों जिसको है बीत जाना
ये समय ही है दोस्तों जिसको है बीत जाना


आओ फिर इस समय को हसीन बनायें
नफरत के अंधरे रास्तो पे प्यार के दिए जलाएं
जो २-४ पल है जिंदगी के उन्हें यादगार बनायें
अमन और शांति से हर एक गली को सजाएँ
होसके तो हर रोज एक नयी सुबह को जियें
और जैसे हर रोज कोई नयी शाम बिताएं
आओ फिर इस समय को हसीन बनायें
आओ फिर इस समय को हसीन बनायें .................. And The Journey Begins Here