Sunday, August 15, 2010

सपनो में जो देखा था वो हींदोंस्तान कहा है

सपनो में जो देखा था वो हींदोंस्तान कहा है...


जमीन है पुरानी लेकीन आसमान बदल गया है
वो मजहब पुराने लेकीन मकसद नया है
हर इन्सान बीलकुल अब बदल सा गया है
सपनो में जो देखा था वो हींदोंस्तान कहा है....

वो चाँद है पुराना लेकीन रौशनी बदल गयी है
वो सूरज की कीरणों में जैसे तपीश बढ़ गयी है
इबदाद   का जैसे मतलब ही बदल गया है
सपनो में जो देखा था वो हींदोंस्तान कहा है....

कहीं पर हीन्दू तो कहीं मुसलमानों का डेरा
न जाने कोन है पराया और कोन है अपना मेरा
में बताऊ ये कीसको के ये क्या हो रहा है
सपनो में जो देखा था वो हींदोंस्तान कहा है....

हर तरफ है छाई जाती धर्मं की लड़ाई
कीसी की माँ कीसी की बेहेन चाहे कीसी का भी हो भाई
सोचने का नजरीया अब बीलकुल बदल गया है
सपनो में जो देखा था वो हींदोंस्तान कहा है....

स्वतंत्राता के नाम पर गंदी राजनीती के खेले
वो तड़पते हुए इंसान और वो लाशो के मेले
हर कोई बस अब खुद के लीये जी रहा है
सपनो में जो देखा था वो हींदोंस्तान कहा है....

घरो में है ज्यादा पर दील में जगह कम हो गई है
इंसानियत मनो जैसी हमेशा के लीये सोगयी है
चैन तो लोगो का बचपन से छीन गया है
सपनो में जो देखा था वो हींदोंस्तान कहा है....

न जाने कब होगा मेरा सपना साकार
न जाने कब बदलेंगे लोगो के मन के वीचार
न जाने कब दिखेंगे हम को सब भाई भाई
न जाने कब होगी अमानवता की वीदाई

सपनो का हींदोंस्तानन जाने कब दीखाये देगा
हजारो के बलीदान के बाद अब और क्या ये लेगा
कब बंद होगी जात पात की ये लड़ाई

तरसता हूँ के कब होगा सपना साकार मेरा
एक ही आसमान है यारों.... न तेरा न मेरा ..


जय हिंन्द ...