Thursday, November 22, 2012

काश मैं हवा का झोका होता


काश मैं  हवा का झोका होता
मदमस्त लहराता सब जगह घूम कर आता
कभी खुल के गता तो कभी गुनगुनाता
काश मैं हवा का झोका होता

कभी घुस्से में होता तो तूफ़ान बन जाता
कभी खुश होता तो भीनी सी हवा लाता
कभी बारिश के साथ लुका छुपी खेलता
कभी किसी की छत तो कभी किसी शेहेर में होता
काश मैं हवा का झोका होता

कभी सड़क पे गिरी पत्तियों से खेलता
कभी किसी ठहरे पानी में घुस जाता
कभी धुल भरी आंधी तो कभी शीतलता का एहसास दिलाता
काश मैं हवा का झोका होता

कभी गर्मी में ठण्ड का एहसास कराता
कभी ठिठुरते बदन को गर्मी दिलाता
बादल बारिश के साथ मिलके तूफान कहलाता
सूरज के साथ अगर रहता तो लू होजाता
काश मैं हवा का झोका होता

हर ख़ुशी हर गम का मेरे पास इलाज होता
मेरे एक हलके झोके का हर कोई मोहताज़ होता
मेरे घुस्से का सिर्फ मैं शिकार होता
काश मैं हवा का झोका होता
मदमस्त लहराता हर जगह घूम के आता
काश मैं हवा का झोका होता