धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते
बचपन को जवानी और जवानी बुढ़ापे में ढलते
कभी लड़खड़ाते कभी गिरते तो कभी अपने आप संभलते
हवाओं और मौसम को जैसे आपस में लड़ते
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते
लोगों को धीरे धीरे ऊँचाइयों पे चढ़ते
जो आसमान पे थे उनको निचे उतरते
इश्क और मोहोब्बत को हवाओं में घुलते
दो जवान दिलों को प्यार भरी गुफ्तगू करते
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते
उमंगों और आशाओं को हर रोज जैसे बढ़ते
उमंगों और आशाओं को हर रोज जैसे बढ़ते
नफरत की उन गलियों को चाहत की तरफ मुड़ते
उन नन्ही किलकारियों को सफल आवाज बनते
हर परिवार में यूँ रिश्तो और रिश्तेदारों को बढ़ते
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते
कहीं प्यार कहीं नफरत तो कहीं घमंड को पलते
कहीं प्यार कहीं नफरत तो कहीं घमंड को पलते
कभी एक आशा की किरण या एक ख़ुशी के रूप में आते
कहीं नफरतो को बढ़ते तो कहीं दो दिलों को मिलते
कभी फूल कभी पत्थर तो कभी अंगारों में सुलगते
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते
मैं देख रहा हूँ इस कबख्त समय को चलते
धीरे धीरे इन सरे पलों को बदलते
पर जानता हूँ समय का एक अंदाज है सुहाना
पर जानता हूँ समय का एक अंदाज है सुहाना
समय तो सिर्फ एक पल जिसने हमेशा है बीत जाना
एक पल में अगर गम हो तुम दूजे में कुशियाँ मनाना
कभी दूसरो को हराना कभी खुद से हार जाना
एक बार जो निकल गया तो इसने लोअट के न आना
पर ये समय ही है दोस्तों जिसको है बीत जाना
ये समय ही है दोस्तों जिसको है बीत जाना
आओ फिर इस समय को हसीन बनायें
नफरत के अंधरे रास्तो पे प्यार के दिए जलाएं
जो २-४ पल है जिंदगी के उन्हें यादगार बनायें
अमन और शांति से हर एक गली को सजाएँ
होसके तो हर रोज एक नयी सुबह को जियें
और जैसे हर रोज कोई नयी शाम बिताएं
आओ फिर इस समय को हसीन बनायें
आओ फिर इस समय को हसीन बनायें .................. And The Journey Begins Here