हर दिन कहीं ना कहीं कोई झगडा नजर आता
कभी कोई गाली बकता तो कोई कभी आंखे दिखाता
हर वक़्त सबके चेहरे पे बस घुस्सा भरा होता
हर कोई किसी न किसी बात से बस परेशान होता
हर कोई किसी न किसी बात से बस परेशान होता
कभी किसी की कार का कांच या बाइक पे स्क्रैच लग जाता
इंडिकेटर तो जैसे बस गाड़ियों की शोभा बढाता
कोई कभी भी लेफ्ट से राईट को चला आता
कभी कोई हाथ देता तो कोई यूँ ही मुड जाता
बिना हेलमेट पहन कर कोई हीरो बन कर दीखता
बाइक पे स्टंट करके कोई रोड पे छा जाता
सिग्नल तोड़ के जैसे मनो कोई चैंपियन बन जाता
अपनी हुई सारी गलती का किसी और को कारण बताता
अधिकतर हुए सड़क हादसों की वजह यही सब बवाल होता
कभी जानी तो कभी अनजानी गलती का कोई मासूम शिकार होता
कहीं कोई छोटी खरॊच या कोई जान सी चला जाता
तब भी हम लोगो को अपनी गलती का बिलकुल एहसास न होता
क्या कभी कोई इस समस्या को समझ भी पाता
कोई इसको सुधारने का प्रयास तक करता
हमारी पढ़ी लिखी जनता को कोई कुछ समझाता
या फिर कोई समस्या न होने हर कोई ढोंग ही जताता
क्या कभी कोई इस समस्या को समझ भी पाता
Don't know if this will make any difference, still thought of posting. And this time will not say enjoy, because this is not something which we should just read and forget about.
इंडिकेटर तो जैसे बस गाड़ियों की शोभा बढाता
कोई कभी भी लेफ्ट से राईट को चला आता
कभी कोई हाथ देता तो कोई यूँ ही मुड जाता
बिना हेलमेट पहन कर कोई हीरो बन कर दीखता
बाइक पे स्टंट करके कोई रोड पे छा जाता
सिग्नल तोड़ के जैसे मनो कोई चैंपियन बन जाता
अपनी हुई सारी गलती का किसी और को कारण बताता
अधिकतर हुए सड़क हादसों की वजह यही सब बवाल होता
कभी जानी तो कभी अनजानी गलती का कोई मासूम शिकार होता
कहीं कोई छोटी खरॊच या कोई जान सी चला जाता
तब भी हम लोगो को अपनी गलती का बिलकुल एहसास न होता
क्या कभी कोई इस समस्या को समझ भी पाता
कोई इसको सुधारने का प्रयास तक करता
हमारी पढ़ी लिखी जनता को कोई कुछ समझाता
या फिर कोई समस्या न होने हर कोई ढोंग ही जताता
क्या कभी कोई इस समस्या को समझ भी पाता
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