Tuesday, March 20, 2012

यादें

यादें


कभी अच्छी तो कभी बुरी
कभी पूरी तो कभी अधूरी
कभी खट्टी तो कभी मीठी
कभी लगे मिर्ची से भी तीखी

इन यादों में है जैसे जीवन ये सारा
जैसे सभी कश्तियों का कोई अपना किनारा
कभी लगे मनो लाचार सा कोई बेचारा
कभी लगे जैसे कोई पंछी आवारा

रह रह कर आती और बड़ा सताती
कभी ख़ुशी से तो कभी गम से ऑंखें भीगा जाती
चुपके से आकर दिल में उथल पुथल मचाती
कोई पाती अपनी मंज़िल तो कोई अधूरी रह जाती

इन यादों में जैसे है ये जीवन समाया
लगे कड़कती धुप में जैसे ठंडी सी कोई छाया
कभी गुम सुम सी मासूम सी लगती है वो
कभी लगे मानो पुरे जीवन की परिछाया


काश इन यादों को फिर से जी सकते
गलतियों को सुधर कर खुशियों को लिए चलते
गमो को भुला कर दिल खोल कर हसते
ढेरो हसीन पालो से नयी यादों को रचते
काश इन यादों को फिर से जी सकते

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